आत्मनिर्भर भारत में महिलाओं की भूमिका
Vol. 03, Issue 01, pp. 149–154 | Published: 11 September 2025
Author: डॉ० कमलकान्त
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शोध सारांश
नारी के महान अनुदान एवं योगदान के कारण प्राचीन भारत समृद्ध संपन्न एवं अति विकसित था। प्राचीन काल में महिलाओं ने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया। ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में विकास के साथ-साथ समाज, राजनीति, धर्म, कानून, संगठन आदि सर्वांगीण उन्नति एवं उत्थान में पुरुष की सच्ची सहचरी बनकर रही भारतीय प्रगति का दीर्घ एवं लंबा इतिहास नारी के बिना अधूरा एवं अपूर्ण रह जाता, यदि नारी इसमें कोई योगदान नहीं देती। पुरुष को नारी द्वारा दी गई प्राणदायी प्रेरणा के बल पर ही भारतीय विकास का आधार खड़ा हो सका।1
आत्मनिर्भरता मानव जीवन का एक ऐसा सद्गुण है, जिसकी प्राप्ति से व्यक्ति का जीवन सुगम एवं सरल हो जाता है। एक आत्मनिर्भर व्यक्ति अपने कर्म की कुशलता से आत्मनिर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण के साथ-साथ राष्ट्र का भी निर्माण करता है। व्यक्ति की आत्मनिर्भरता स्वावलंबी बना देती है। यदि कोई व्यक्ति स्वयं आत्मनिर्भर रहता है तो उसे किसी और के सहारे की जरूरत नही पड़ती है। हमारा भारत देश विश्व की प्राचीन संस्कृतियों में सर्वश्रेष्ठ था, जिसे जगतगुरु की संज्ञा दी गयी थी। यही कारण था कि वैदिक काल में कन्याओं को शुभ तथा विशेष शक्ति प्राप्त थी. भारतीय महिलाओं के समक्ष जाति प्रथा, धार्मिक परम्पराओं, प्राचीन प्रचलित भूमिकाओं जैसी अन्य चुनौतियाँ तो हैं ही, साथ ही उसे पहले से अधिक मजबूत भारतीय समाज के पुरूष सतात्मक ताने-बाने से भी लोहा लेना है। आज भी इसी चीज की आवश्यकता है। समाज में नारी के विकास के लिए समुचित व्यवस्थाएं की जानी चाहिए. सभी तरह के प्रतिबंध हटाए जाने चाहिए. उनके संदर्भ में अपनी मानसिकता एवं दृष्टिकोण को परिवर्तित एवं परिष्कृत किया जाना चाहिए, जिससे कि वे अपने बहुआयामी व्यक्तित्व को विकसित कर सकें। नारी के विकास से ही भारत अपनी प्रतिष्ठा सम्मान गौरव गरिमा को पुनः प्राप्त कर सकता है। आत्मनिर्भर बनने के लिए अर्थव्यवस्था, तकनीकी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, मांग को विकसित करना होगा तभी जाकर नये भारत का सपना साकार हो सकेगा तथा महिलाओं का विकास हो सकेगा।
कीवर्ड- आत्मनिर्भर, महिला, सशक्तिकरण, डिजीटलीकरण,चुनौतियाँ,योगदान
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डॉ० कमलकान्त, “आत्मनिर्भर भारत में महिलाओं की भूमिका” Shiksha Samvad International Open Access Peer-Reviewed & Refereed Journal of Multidisciplinary Research, ISSN: 2584-0983 (Online), Volume 03, Issue 01, pp.149-154, September 2025. Journal URL: https://shikshasamvad.com/
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